Ancient History Notes in Hindi. भारतीय इतिहास (प्राचीन भारतीय
इतिहास)
भारत के प्राचीन
इतिहास को समझने के लिए सबसे पहले हम इसे तीन कालखंडों में बांटते हैं.
1-प्रागैतिहासिक काल
2-आद्य ऐतिहासिक काल
3-पूर्ण ऐतिहासिक काल
Ø प्रागैतिहासिक काल
में उन संस्कृतियों का अध्ययन करते हैं जिसका संबंध पाषाण संस्कृतियों से है. (इस
काल में मिलने वाली चीजें पत्थरों से बनी हैं).
Ø आद्य ऐतिहासिक काल
में हड़प्पा सभ्यता और ऋग्वैदिक सभ्यता आती हैं.
Ø पूर्ण ऐतिहासिक काल
की शुरुआत मौर्य काल से माना जाता है.
प्राचीन भारत के इतिहास को समझने के नजरिये से इस तरह से बांट सकते हैं-
1-प्रागैतिहासिक काल
2-सिन्धु घाटी की
सभ्यता
3-वैदिक संस्कृति
4-संगम काल
5-प्राचीन भारतीय
धर्म और दर्शन
6-मौर्य साम्राज्य
7-
मौर्योत्तर काल
(शुंग वंश, भारत पर विदेशी
आक्रमण, पहलव वंश व कुषाण
वंश)
8-गुप्तकाल
9-गुप्तोत्तर काल
10-राजपूत काल (भारतीय
उप महाद्वीप पर अरबों का अक्रमण और भारत पर तुर्क आक्रमण)
पुरातत्व और प्रागैतिहासिक काल
मानव सभ्यता के नजरिये से प्रागैतिहासिक (Pre-History Age) को सबसे आरंभिक काल
माना जाता है. इतिहास के इस कालखंड को अध्ययन के लिहाज से तीन भागों में बांटा गया
है.
1-पुरा पाषाण काल (Palaeolithic Age)
2-मध्य पाषाण काल (Mesolithic Age)
3- नव पाषाण काल (Neolithic Age)
- नवपाषाण काल
के अंतिम चरण में इंसान ने धातुओं का प्रयोग शुरु किया. इंसान ने जिस धातु का
सबसे पहले इस्तेमाल शुरु किया वो तांबा था.
- जिस काल में
इंसान ने पत्थर के साथ-साथ तांबे के औजारों का इस्तेमाल किया उसे
ताम्र-प्रस्तर कहा जाता है. इसका मतलब है वो काल जिसमें पत्थर व तांबे के
उपयोग की जानकारी मिलती है.
इस Topic
से परीक्षा में आए हुए प्रश्न
- कैलिग्राफी
सुलेखन को कहते हैं. (Stenographer Gread-C-1999)
- पुरालेख
विद्या का मतलब शिलालेख के अध्ययन से लिया जाता है. (C.P.O Exam-2003)
- प्रस्तर युग
में कुत्ता एक घरेलू पशु था. (Stenographer Gread-C Exam-1998)
- पुरा पाषाण
काल को मानव अस्तित्व का प्रारंभिक काल माना जाता है. (MTS EXAM-2013)
Point
wise Important Facts:-
- पुरालेखशास्त्र
को एपिग्राफी कहते हैं, इसके अंतर्गत शिलालेख का अध्ययन करते हैं.
- पुरालिपिशास्त्र
को पेलियोग्राफी कहते हैं इसके अंतर्गत प्राचीन लिपि का अध्ययन किया जाता है.
- सुलेखन की कला
को कैलिग्राफी कहते हैं. मुहम्मद बिन तुगलक इतिहास में सुदंर हस्तलेख के लिए
प्रसिद्ध है.
- निम्म
पुरापाषाण काल के प्रमुख स्थलों में कश्मीर, बेलन घाटी के अंतर्गत मीरजापुर (Uttar Pradesh), भीमबेटका (Madhya Pradesh).
- मध्यपुरा
पाषाण काल के मुख्य स्थल हैं- मीरजापुर (उत्तर प्रदेश), नेवासा
(महाराष्ट्र), ओडिशा.
- मध्यपुरा
पाषाण काल को Flake
Culture भी कहते हैं.
- सबसे पुरानी
चित्रकारी के प्रमाण उच्च पुरा पाषाण काल के दौरान भीमबेटका से मिलते हैं.
गुफा शैल चित्रकारी के लिए भीमबेटका मशहूर है.
- मध्य पाषाण काल
में आदमगढ़ और बागोर से पशुपालन के सबसे पुराने प्रमाण मिले हैं.
- विश्व और
भारतीय उप-महाद्वीप में चावल का सबसे प्राचीनतम प्रमाण नव पाषाणकाल (6000 ईसा पूर्व)
में कोल्डिहवा (उत्तर प्रदेश) से मिलता है.
- कृषि का
सर्वप्रथम साक्ष्य मेहरमढ़ से मिलता है.
- सराय नाहर राय
से मध्य पाषाणिक काल में पशुपालन के साक्ष्य मिलते हैं.
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