- Why will five state election important for president of India election 2017?
- Who will be India's next president?
- All Facts about president of India election 2017.
- Kaise hota hai Bharat mei Rastrapati ka chunav, jane puri prakriya.
- Rastrapati chunav mei kyu UP hai Very Important.
उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा,
पंजाब और मणिपुर विधानसभा चुनाव मोटे तौर पर दो
बिन्दुओं पर अहम हो जाते हैं. पहला, इन राज्यों के निवासियों के लिए ये चुनाव इसलिए
जरुरी हैं क्योंकि उन्हें एक ऐसी सरकार चुननी है जो उनका भला कर सके. जबकि दूसरे
बिन्दु पर ये चुनाव प्रतियोगी छात्रों के लिए भी अहम हो जाते हैं. उनके लिए ये
जानना जरुरी है कि ये चुनाव उनके लिए क्या मायने रखते हैं? मसलन, इन चुनावों से प्रतियोगी परीक्षाओं में क्या सवाल बन सकते हैं.
प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के लिहाज से भी ये देखने की जरुरत हैं कि सवालों की
प्रकृति क्या हो सकती है? करेंट अफेयर्स के लिए भी ये चुनाव
अहम हो जाते हैं. यकीन मानिए आपको प्रारंभिक और मुख्य परीक्षा के साथ ही निबंध में भी इस टॉपिक से
सवाल जरुर मिलेंगे.
प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के छात्रों के
लिए ये जानना जरुरी है कि कभी भी चुनाव से पॉलिटिकल सवाल नहीं बनते हैं. सवाल
संवैधानिक बिन्दुओं, करेंट अफेयर्स, भूगोल से जुड़े, जनसंख्या से जुड़े, वोटरों से
जुड़े हो सकते हैं. मसलन आपसे ये सवाल कभी नहीं पूछा जाएगा कि अखिलेश यादव ने किस
विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा, बल्कि सवाल ये बन सकता है कि अखिलेश यादव यूपी
विधानसभा के सदस्य हैं या फिर विधान परिषद के. यूपी में विधान परिषद की कितनी
सीटें हैं? इसी तरह से आपसे ये नहीं पूछा
जाएगा कि यूपी में मुस्लिम बाहुल्य कितनी सीटें हैं? बल्कि
सवाल ये बन सकता है कि यूपी का वो कौन-सा जिला है जहां मुस्लिम जनसंख्या सबसे
ज्यादा है? इसी तरह से आपसे ये सवाल नहीं पूछा जाएगा कि यूपी
में पहले चरण में कितने उम्मीदवार थे, जबकि सवाल ये बन सकता है कि यूपी में चुनाव
कितने चरणों में हुए
?
अब आप समझ गए होंगे कि पांच राज्यों के चुनाव
से आपको सवाल क्या तैयार करना है. नीचे हम बिन्दुवार मोटेतौर पर कुछ तथ्य दे रहे
हैं जो कि पांच राज्यों के चुनाव में करेंट अफेयर्स और पॉलिटी के लिहाज से Very
Important हैं. खासतौर से ये बिन्दु मुख्य परीक्षा और निबंध में भी
काफी मदद कर सकते हैं.
- केंद्र
की बीजेपी सरकार के लिए पांच राज्यों के चुनाव सरकार बनाने से ज्यादा
राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से बहुत अहम हैं. खासतौर से कुल 690
विधानसभा सीटों और खासकर उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के नतीजे ये तय कर देंगे कि जुलाई 2017 में होने जा
रहे राष्ट्रपति चुनाव में मोदी सरकार की स्थिति क्या होगी?
- संविधान
में राष्ट्रपति चुनाव के लिए निर्वाचक मंडल की भूमिका साफतौर से बताई गई है. इसके
मुताबिक राष्ट्रपति का इलेक्शन एक निर्वाचक मंडल करेगा.
- संविधान
के अनुच्छेद-54 के अनुसार इस निर्वाचक
मंडल में संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्यों और दिल्ली और पुदुचेरी समेत
सभी राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों को शामिल किया गया है.
- संविधान
का अनुच्छेद-55 कहता है कि राष्ट्रपति
के निर्वाचन में सभी राज्यों के प्रतिनिधित्व के पैमाने में समानता होनी
चाहिए.
- राज्यों
के स्तर पर और संघ के स्तर ये एकरूपता लाने के लिए चुनाव में संसद और
विधानसभाओं के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के वोट का मूल्य स्पष्ट करने के लिए
संविधान में एक Formula दिया गया है.
- इस
Formula के मुताबिक किसी State की विधानसभा के प्रत्येक निर्वाचित सदस्य के वोट का मूल्य पता करने
के लिए सबसे पहले उस प्रदेश की आबादी को वहां के कुल निर्वाचित विधायकों की
संख्या से विभाजित किया जाता है. इससे जो संख्या मिलेगी उसे फिर 1000 से विभाजित किया जाएगा. अब जो नंबर आएगा वही उस राज्य के एक विधायक
के वोट का मूल्य होगा.
- इसी
तरह सांसदों के वोट का मूल्य पता करने के लिए सबसे पहले सभी राज्यों की
विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्यों के वोटों का मूल्य जोड़ा जाएगा. इस मूल्य को
राज्यसभा और लोकसभा के निर्वाचित सदस्यों की कुल संख्या से विभाजित किया
जाएगा. इससे जो संख्या प्राप्त होगी, वही
एक सांसद के वोट का मूल्य होगा.
- खास
बात ये है कि सभी गणनाएं 1971 की
जनगणना के आंकड़ों के आधार पर की जाएंगी. ये चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के
आधार पर एकल हस्तांतरणीय मत से होता है.
- इस
Formula के तहत सभी राज्यों के विधायकों के
वोटों के मूल्य अलग-अलग होंगे. मसलन, सिक्किम में एक विधायक के वोट की कीमत
सबसे कम यानी 7 है. क्योंकि वहां कि जनसंख्या और विधानसभा सदस्य कम हैं. जबकि
अरुणाचल प्रदेश के एक विधायक की कीमत 8, मिजोरम के एक
विधायक की कीमत 8 और नागालैंड के एक विधायक की कीमत 9 हैं.
- इससे
साफ है कि छोटे राज्यों के कुल विधायकों के वोटों का मूल्य भी कम ही होगा.
उदाहरण के लिए- अरुणाचल प्रदेश में सभी
विधायकों के वोटों का मूल्य 480, मिजोरम में 320
और नागालैंड में 540 है.
- अब
जब हम उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और
पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों की बात करते हैं तो नजारा बदल जाता है. यूपी में कुल
403 विधायक हैं और एक विधायक के वोट की कीमत 208
है. इस लिहाज से सभी विधायकों के वोटों की कुल कीमत 83824
बनता है.
- इसी
तरह से महाराष्ट्र के पास 50400, पश्चिम
बंगाल के पास 44394 वोट हैं.
- 2012 के
राष्ट्रपति चुनाव में निर्वाचक मंडल में 4120 विधायक और
776 सांसद शामिल थे. सभी विधायकों के वोटों का मूल्य 549474
था. वहीं देश में सभी 4896 सांसदों और
विधायकों के वोटों का कुल मूल्य 1098882 था.
- 2012
राष्ट्रपति के चुनाव में दो उम्मीदवारों प्रणब मुखर्जी और पी संगमा के बीच
सीधा मुकाबला था. कुल पड़े वोटों की कीमत करीब 10.50
लाख थी, जिसमें से प्रणब मुखर्जी को 7.13
लाख वोट मिले थे, जो कि राष्ट्रपति बनने
के लिए जरूरी मतों से काफी अधिक था.
- अब
अगर 2017 के राष्ट्रपति चुनाव की बात करें तो जुलाई में अगर मोदी सरकार अपने
उम्मीदवार को राष्ट्रपति चुनाव में जीताना चाहती है तो उसे कम से कम 5.5
लाख वोट का जुगाड़ करना होगा.
- इस
समय जिन पांच राज्यों में चुनाव चल रहे हैं उनमें यूपी सबसे बड़ा सूबा है. राष्ट्रपति
चुनाव के मद्देनज़र भी यूपी के पास देश में सबसे ज्यादा वोट हैं.
- राष्ट्रपति
चुनाव में उत्तर प्रदेश के विधायकों के वोटों का मूल्य 83824
बनता है. ये देश के कुल वोटों के मूल्य का करीब 8% है.
- अगर
July 2017 में होने जा रहे राष्ट्रपति चुनाव
से पहले बीजेपी और उसके सहयोगी दल ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतते हैं तो वो
अपने मर्जी का राष्ट्रपति चुन सकते हैं नहीं तो उन्हें विपक्ष का मुंह देखना
पड़ेगा.
- यही
वजह है कि बीजेपी को यूपी में पूर्ण बहुमत की सरकार बनानी होगी क्योंकि यूपी
के अलावा जिन राज्यों में चुनाव हो रहे हैं वो ना सिर्फ छोटे हैं बल्कि उनकी
वोट की हिस्सेदारी भी कम है. मसलन, राष्ट्रपति चुनाव में गोवा के पास 800,
मिजोरम के पास 320 और उत्तराखंड के खाते
में 4480 वोट हैं. हालाकि पंजाब के पास 13572 हैं.
- पांच
राज्यों में चुनाव से पहले मोदी सरकार के पास करीब 4.5
लाख वोट होने का अनुमान है. वहीं UPA के
पास करीब 2.3 लाख वोट हैं. NDA को
ये बढ़त महाराष्ट्र, एमपी, गुजरात,
राजस्थान, झारखंड, हरियाणा
और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में पूर्ण बहुमत की सरकार बनने से मिली है. लेकिन अपने
मर्जी का राष्ट्रपति बनाने के लिए ये काफी नहीं है, इसीलिये पांच राज्यों के
चुनावों खासतौर से यूपी चुनाव की अहमियत बढ़ जाती है.
- उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे बड़े राज्यों में NDA के पास बहुमत नहीं है. तमिलनाडु के पास 41184 वोट हैं. लेकिन वहां पर राजनीतिक अस्थिरता है. हालांकि अगर तमिलनाडु के वोट NDA के साथ गए तो उनके पास करीब पांच लाख वोटों का जुगाड़ हो जाएगा.
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